Monday 25 May 2020

खुद को आशा और आस्‍थावान बनाइए. जो जीवन में आशा, आस्‍था से भरा है, उसकी नजर आज पर नहीं कल पर होतीl

        अक्‍सर हम यह मानकर चलते हैं कि तनाव एक मानिसक गति‍विधि है, जिसका असर हमारे दिमाग पर अधिक होता है, शरीर पर कम. लेकिन कोरा भ्रम है. बल्कि उल्‍टा है. तनाव आता मन के रास्‍ते है, ठहरता दिमाग में है, लेकिन शरीर इस दुर्घटना का सबसे बड़ा शिकार बनता है. दिन पहले एक सुपरिचित डॉक्‍टर ने मुझे बताया था कि इन दिनों आंखों से लेकर पेट, शरीर की अधिकांश बीमारियों का कारण तनाव से शुरू होता है. तनाव सही समय पर पहचान करने पर ही संभव है कि इससे आसानी से निपटा जा सके, ऐसा होने पर जरा सी चूक भी जीवन तबाह कर सकती है.    (The definition of "as you sowso you shall reap" is: if you did bad things in the past, youwill get bad results in the future. if you did good things in the past, you will get good results in the future. "as you sowso you shall reapmeans. )

एेसे पता करें तनाव
-एेसे व्यक्ति किसी भी काम में दिलचस्पी नहीं लेता अपने ही ख्यालो ंमें खोया रहता है

-व्यक्ति को नींद नहीं आ रही हो। रात के समय वह जागकर बिता रहा हो
-व्यक्ति के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है, वह कम बातचीत करता है। अपने ही ख्यालों में खोया रहता है

-गुमसुम रहने लगता है। छोटी-छोटी बातों पर चिढ जाता हो
यह करें उपाए

-बच्चों के साथ माता-पिता ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करें। उनकी बात को ध्यानपूर्वक सुने और समझे
-बच्चा अगर फैल हो जाए तो उसे डांटे नहीं बल्कि उसे बेहतर तरीके से समझाएं

-अगर घर में कोई झगड़ा हो गया हो तो उसे बढने न दे घर में ही सुलझा ले

(श्रीकृष्ण। वे हमारी संस्कृति के एक अद्भुत नायक हैं। उन्होंने मनुष्य जाति को नया जीवन-दर्शन दिया। जीने की शैली सिखलाईl)

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