*अपने धर्मं का पालन करें।
* मंदिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं।
* माता-पिता और गुरु जनों का सम्मान करें।
* भाई-बंधुओं से अच्छे संबंध बनाकर रखें।
*कर्म ठीक रखे।
* घर में बड़ों के आशीर्वाद लेने से, उनकी सेवा करने से संतान सुख की प्राप्ति होगी।
घर को मंदिर की संज्ञा दी गई है और घर के वातावरण का आपके आम जीवन और दिनचर्या पर अवश्य पड़ता है। ऐसे में यदि घर-परिवार का वातावरण अनुकूल नहीं हो, तब वह प्रत्येक सदस्य के जीवन को प्रभावित करता है। यदि आपके घर में किसी भी कारण से सुख शांति नहीं रह पा रही हैl
श्रीकृष्ण ग्रामीण संस्कृति के पोषक बने हैं। उन्होंने अपने समय में गायों को अभूतपूर्व सम्मान दिया। वे गायों एवं ग्वालों के स्वास्थ्य, उनके खान-पान को लेकर सजग हैं। उन्होंने जहां ग्वालों की मेहनत से निकाला गया माखन और दूध-दही को स्वास्थ्य रक्षक के रूप में प्रतिष्ठित किया वही इन अमूल्य चीजों को ‘कर’ के रूप में कंस को देने से रोका। वे चाहते थे कि इन चीजों का उपभोग गांवों में ही हो। श्रीकृष्ण का माखनचोर वाला रूप दरअसल निरंकुश सत्ता को सीधे चुनौती तो था ही, लेकिन साथ ही साथ ग्रामीण संस्कृति को प्रोत्साहन देना भी था।
मंत्र' का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं।
क्लेशनाशक मंत्र : ॐ श्रीकृष्णाय शरणं मम। या कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥